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एक वक्त था, जब वोट देने के लिए मतदाता पैदल या ऊंट गाड़े पर एक गांव से दूसरे गांव जाकर अपने मताधिकार का प्रयोग किया करते थे। चुनाव के उस दौर में गांव के वाशिंदे एक जाजम पर बैठकर अपना प्रत्याशी चुनकर ग्राम पंचायत के सरपंच से लेकर विधायक व सांसद तक बना देते थे। मतदाता अपने मत का प्रयोग बैलेट पेपर पर प्रत्याशी के सामने वाले चुनाव चिन्ह पर मोहर लगाकर अपने मत का प्रयोग करते हुए गांव से लेकर लोकसभा तक की सरकार में अहम भूमिका निभाते थे।

लेकिन अब बदलते इस दौर में चुनावी माहौल के दौरान इन दिनों धोरों पर लग्जरी गाड़ियां दौड़ती हुई नजर आ रहीं हैं। अब उम्मीदवार अपने वोटों का अंक गणित बिठाकर अपने आप प्रत्याशी घोषित होकर मतदाताओं को रिझाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बदलाव के इस युग में चुनाव के तौर तरीके भी बदलने लगे हैं। प्रत्याशी घर-घर जाकर अपना चुनाव चिन्ह समझाने में एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।

महिलाएं भी अब मुखर हो गई हैं। सरकार चुनने में महिलाएं अपना पक्ष बेबाकी से रखकर अपनी भागीदारी दर्ज करवा रही हैं। महिलाओं से वोट मांगते हुए महिला कार्यकर्ताओं को देखा जा सकता है। वोटरों की मान मनुहार के साथ ही उम्मीदवारों को जिताने की गुहार लगाई जा रही है। ऐसे में अब प्रत्याशी बड़े-बड़े वादे करने से भी नहीं चूक रहे हैं।

वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए यह कहने से भी नही हिचक रहे हैं कि म्हानै थे वोट दीज्यो, म्हे गांव रो विकास करास्या। सुरनाणा निवासी 92 वर्षीय बुजुर्ग महिला पारा देवी तर्ड ने कहा कि लोकतंत्र रै इण त्युंहार में सगळा आगै आओ। वोट देय’’र आपरो पख राखो। साफ सुथरी सरकार बणाणी है।

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