बीकानेर. विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही कई नेताओं का इघर-उधर हाेना कोई नई और अनहोनी घटना नहीं होती। जनता भी मोटे तौर पर ऐसे अप्रत्याशित परिवर्तनों के लिए मानसिक तौर पर तैयार होती है। लेकिन कई बार कुछ घटनाक्रम ऐसे भी हो जाते हैं, जो कुछ ऐसी छाप छोड़ जाते हैं कि बरसों भुलाए नहीं भूलते। ऐसा ही एक किस्सा बीकानेर का भी है। बात हो रही है साल 2013 के विधानसभा चुनावों की। घटनाक्रम बीकानेर पूर्व विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा है।
दरअसल, हुआ यूं कि भाजपा के जिला पदाधिकारी गोपाल गहलोत पूर्व विधानसभा क्षेत्र से पार्टी का टिकट चाहते थे। हालांकि, पार्टी ने टिकट बंटवारे में उनके दावे को खारिज करते हुए मौजूदा विधायक सिद्धि कुमारी को ही पार्टी का टिकट दे दिया। इसी के बाद जो घटनाक्रम चला, उसने इतिहास ही कायम कर दिया। दरअसल, विधानसभा चुनाव 2013 में बीकानेर पूर्व विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी सिद्धि कुमारी की घोषणा के बाद उनके प्रतिद्वंद्वी के रूप में गोपाल गहलोत चुनाव मैदान में आ डटे। खास बात यह थी कि गहलोत ने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में ताल ठोंकी। यह घटनाक्रम ऐसा था कि अप्रत्याशित की प्रत्याशा रखने वाली क्षेत्र की आम जनता भी तब चौक गई।उस समय इस खबर की पुख्ता जानकारी के लिए लोगों ने समाचार पत्र कार्यालयों में भी फोन घनघनाएं। क्योंकि उस वक्त सोशल मीडिया का भी कोई ज्यादा प्रभाव नहीं था। गहलोत भाजपा के शहर अध्यक्ष भी रहे। प्रदेश कार्यकारिणी में भी शामिल रहे। इसके अलावा गहलोत को कोलायत से उस वक्त सामाजिक न्याय मंच के प्रत्याशी देवीसिंह भाटी के सामने भाजपा के प्रत्याशी के रूप में टिकट भी मिल चुका था। इसके बाद नगर निगम चुनावों में महापौर पद के लिए सीधे चुनावों में भी भाजपा ने गहलोत को अपना प्रत्याशी बनाया था। भाजपा को भी गहलोत पर पूर्ण विश्वास था। ऐसे में गहलोत के कांग्रेस में शामिल होने और पूर्व विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाने की खबर ने पूरे शहर को चौका दिया।