बीकानेर, 20 दिसंबर। बंजर भूमि व चारागाह विकास व संरक्षण के विषय पर जिला परिषद सभागार में शुक्रवार को कार्यशाला आयोजित हुई।
जिला परिषद एवं आईटीसी और एफईएस संस्था के सँयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में अधीक्षण अभियंता धीर सिंह गोदारा ने पौधारोपण को प्रकृति के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने महात्मा गांधी नरेगा के तहत जिले में विकसित किये जा रहे चरागाहों की जानकारी दी एवं सेवण-धामण घास सहित अन्य प्रजाति की वनस्पतियों के उपयोग को पशु सम्पदा के लिए लाभदायक बताया।
सहायक अभियन्ता आराधना शर्मा ने महात्मा गाँधी नरेगा के तहत नए प्रावधानों के बारे में बताया व पीपीटी के माध्यम से विकास कार्यों का वर्णन किया। स्वच्छता को ग्रामीण जन के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए इसे जन आंदोलन बनाने की बात कही।
कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. रमेश बैरवा ने चारागाह विकसित करने में ध्यान रखी जाने वाली महत्वपूर्ण बातों पर प्रकाश डाला। उन्होंने पानी, तारबंदी और कीड़ों से बचाव आदि विषयों की जानकारी दी। एफईएस की प्रतिनिधि डिम्पल कुमारी ने बन्जर भूमि चारागाह विकास की त्रिस्तरीय कमेटी की जानकारी दी। उन्होंने चयन और विकास सहित विभिन्न विषयों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर एफईएस की सन्तोष कुंमारी, पुष्कर राज ने भूमि सम्बन्धित विषयों पर प्रकाश डाला। कार्यशाला में राजस्व, वन, राजीविका, ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज विभाग के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे। संचालन जिला समन्वयक (आईईसी) गोपाल जोशी ने किया।