Sun. Jul 13th, 2025

NEWS BHARTI BIKANER ; – एम. डी.पारीक (बाबा) मित्र मंडल की पाराशर नारायण शर्मा की अध्यक्षता में आज म्यूजियम ग्राउंड में मीटिंग हुई जिसमें वरिष्ठ पर्वतारोही, योग साधक, पर्यावरण प्रेमी तथा समाजसेवी स्वर्गीय श्री मुरलीधर जी पारीक (एम.डी.) बाबा जिनका 6मार्च को दिल्ली में देहांत हो गया था। उनकी “श्रद्धांजलि सभा”रविवार,दिनांक 23 मार्च 2025 को सायं 5:00 बजे जिला उद्योग भवन, रानी बाजार मेंआयोजित करने का निर्णय लिया गया।

इस अवसर पर पाराशर नारायण शर्मा,सीताराम कच्छावा,सुधीर भाटिया सी.ए., नरेश अग्रवाल, आर के श्रीमाली, रामकरण चौधरी, राजेन्द्र तंवर,मनोहर वर्मा,सत्यप्रकाश सोबती, भंवर लाल व्यास,सुरेंद्र खटोड़ सुदेश मोदी, सत्यनारायण सिंह, लक्ष्मण सोलंकी,अशोक सोनी, अरविंद गुप्ता,रमेश पारीक,लक्ष्य चौधरी, पुरुषोत्तम जोशी, हिमालय तंवर,तथा पीयूष तंवर आदि उपस्थित थे।
एम.डी. पारीक मित्र मंडल के संयोजक सीताराम कच्छावा ने बताया कि स्वर्गीय श्री मुरलीधर जी पारीक ने म्यूजियम ग्राउंड में “खेल-खेल में पेड़ लगाओ” योजना के अंतर्गत खिलाड़ियों को एथलेटिक्स में प्रशिक्षण दिया तथा यहां सैकड़ो पेड़ लगाएं तथा सिंडर ट्रैक बनवाया। म्यूजियम ग्राउंड में उनसे प्रशिक्षित सुप्रसिद्ध ओलंपियन सुश्री परमजीत कौर, नीरज कांडपाल, नीति सक्सेना तथा नंदराम चौधरी जैसे खिलाड़ियों ने राजस्थान में अपना नाम कमाया।
पर्वतारोहण के क्षेत्र में वरिष्ठ पर्वतारोही श्री पारीक पायोनियर एडवेंचर सोसाइटी के सचिव रहे तथा माउंट स्तोककांगड़ी,माउंट थेलुकोटेश्वर, माउंट बंदरपुंछ तथा एवरेस्ट बेस कैंप में आरोहण कर सफलता प्राप्त की । उन्होंने पर्यावरण के प्रति जनजागृति के लिए बीकानेर से उत्तरकाशी, बीकानेर से कांदला, बीकानेर से वैष्णो देवी तथा बीकानेर से जयपुर साइकिल यात्राएं की।
1985- 86 में धौलाधार की पहाड़ियों में खो चुके बीकानेर के पर्वतारोही अरविंद बोड़ा,भानु सोनी तथा सूर्य प्रकाश सुथार की रेस्क्यू टीम में आपने भाग लिया था ।
श्री मुरलीधर पारीक श्रेष्ठ योग साधक थे ।उन्होंने बीकानेर नोखा सहित राजस्थान में कई जगह योग आसन का शानदार प्रदर्शन किया था ।
आप 1980 में बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में मिस्टर बीकानेर रहे थे।
1980 में आप श्री जैन कॉलेज छात्र संघ के महासचिव बने।1981 में आप छात्र संघ के अध्यक्ष बने।इस चुनाव में आपने बिना पोस्टर,पेम्फलेट, तथा दीवारों को खराब किए चुनाव जीता था जो ऐतिहासिक ही था।
भवदीय
सीताराम कच्छावा

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