प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में जातीय जनगणना का फैसला लिया गया. अखिलेश यादव ने इसे इंडिया गठबंधन की जीत बताया और ईमानदारी से जनगणना की मांग की. उन्होंने चेतावनी दी कि चुनाव की तरह धांधली नहीं होनी चाहिए. विपक्ष लंबे समय से इसकी मांग कर रहा था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में जातीय जनगणना करवाने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया. इस फैसले का स्वागत विपक्ष दलों ने भी किया और कहा कि उनके दबाव में सरकार ने यह फैसला किया है. हालांकि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को एक डर भी सता रहा है. उन्होंने कहा है कि जातीय जनगणना ईमानदारी के साथ होनी चाहिए, चुनाव की तरह धांधली नहीं होनी चाहिए.
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि यह इंडिया गठबंधन की जीत है. अखिलेश यादव ने लिखा, “जाति जनगणना का फ़ैसला 90% पीडीए की एकजुटता की 100% जीत है. हम सबके सम्मिलित दबाव से भाजपा सरकार मजबूरन ये निर्णय लेने को बाध्य हुई है. सामाजिक न्याय की लड़ाई में ये पीडीए की जीत का एक अतिमहत्वपूर्ण चरण है. भाजपा सरकार को ये चेतावनी है कि अपनी चुनावी धांधली को जाति जनगणना से दूर रखें. एक ईमानदार जनगणना ही हर जाति को अपनी-अपनी जनसंख्या के अनुपात में अपना वो अधिकार और हक़ दिलवाएगी, जिस पर अब तक वर्चस्ववादी फन मारकर बैठे थे. ये अधिकारों के सकारात्मक लोकतांत्रिक आंदोलन का पहला चरण है और भाजपा की नकारात्मक राजनीति का अंतिम. भाजपा की प्रभुत्ववादी सोच का अंत होकर ही रहेगा. संविधान के आगे मनविधान लंबे समय तक चल भी नहीं सकता है. ये INDIA की जीत है!”
गौरतलब है कि विपक्ष लंबे समय से जातीय जनगणना की मांग उठा रहा था. इतना ही नहीं चुनावों में भी इसे मुद्दा बनाया जा रहा था. लेकिन प्रधानमंत्री ने आगामी जनगणना के साथ जातीय सर्वे का ऐलान कर इस मुद्दे को ख़त्म कर दिया है. इतना ही नहीं जानकार इसे हिंदुत्व के साथ ही सामाजिक न्याय का नया प्रयोग मान रहे हैं. जातीय जनगणना को लेकर बीजेपी के नेताओं में भी गजब का उत्साह देखने को मिला है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत तमाम मंत्रियों ने इसे ऐतिहासिक फैसला बताते हुए प्रधानमंत्री के निर्णय का स्वागत किया.