Sun. Jul 13th, 2025

श्रीहरिकोटा/नई दिल्ली: तमिलनाडु-आंध्र प्रदेश सीमा पर एक पक्षी अभयारण्य, पुलिकट झील के पार श्रीहरिकोटा द्वीप की ओर ड्राइव करते हुए आप ध्यानमग्न हो जाएंगे। लेकिन जैसे ही आप द्वीप पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) में प्रवेश करेंगे, आप लोग का हुजूम अलग-अलग काम में जुटा है। यहां हजार से अधिक कर्मचारी हैं। वैज्ञानिक और इंजीनियर छोटे-छोटे कॉन्फ्रेंस रूम्स में झुंड में बैठते हैं। कुछ सिमुलेशन देखते हैं तो कुछ अन्य इमारतों और पहले लॉन्च पैड के बीच आते-जाते रहते हैं। जहां एक छोटी सी रॉकेट खड़ी है। वह शनिवार को सुबह 8 बजे उड़ान भरने के लिए तैयार है।

गगनयान मिशन की लॉन्चिंग से पहले डेमो की तैयारी

रॉकेट ‘क्रू मॉड्यूल’ की एक रेप्लिका ले जाएगा। इसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का एक दल करीब दो साल बाद भारतीय धरती से अंतरिक्ष में जाएगा। लगभग एक मिनट बाद क्रू मॉड्यूल (सीएम) के साथ क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) रॉकेट से अलग हो जाता है। सीईएस अगर 16.6 किमी की ऊंचाई तक पहुंच जाता है, तो माना जाएगा कि इसमें कोई समस्या है और इसरो के वैज्ञानिक इस मिशन को रद्द करते हुए क्रू मॉड्यूल को रॉकेट के प्रक्षेपण स्थल से लगभग 10 किमी दूर भेजेंगे। वे इसे ‘इनफ्लाइट एबॉर्ट डेमॉन्स्ट्रेशन’ कहते हैं।

मौसम के अनुकूल होने की आस

गुरुवार को जब टीओआई संवाददाता को स्पेसपोर्ट तक विशेष पहुंच दी गई, तब इसरो के वरिष्ठ अधिकारी एक बंद कमरे में मिशन की समीक्षा के लिए बैठक कर रहे थे, जिसके बाद प्रक्षेपण प्राधिकरण बोर्ड (एलएबी) शनिवार के मिशन के लिए अंतिम हरी झंडी देगा। एसडीएससी के निदेशक राजराजन ए ने कहा, ‘हम अंतिम जांच कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मौसम अनुकूल रहने पर हम निर्धारित समय के अनुसार प्रक्षेपण करेंगे।’ उन्होंने बताया कि क्रू एस्केप सिस्टम और क्रू मॉड्यूल के साथ विशेष परीक्षण वाहन को इकट्ठा किया गया है। सैकड़ों इंजीनियर ईंधन भरने (जो शुक्रवार को होगा) से पहले मॉडल का स्वास्थ्य जांच करने, जरूरी व्यवस्था करने और बारिश से सुरक्षा सुनिश्चित करने में व्यस्त हैं।

फुल टेस्ट की प्रक्रिया

उन्होंने बुधवार को मोबाइल टावर को लॉन्चपैड पर ले जाने वाली रॉकेट को ले जाने सहित फुल टेस्ट की प्रक्रिया भी पूरी की जबकि शुक्रवार को एक और पूर्वाभ्यास होना है। राजराजन ने कहा, ‘क्रू एस्केप सिस्टम नया है, इसलिए कई डिजाइनों की जांच करने की आवश्यकता है। यह पहला परीक्षण है जहां हम एक आपातकालीन परिस्थिति पैदा करके रियल टाइम में क्रू एस्केप सिस्टम की क्षमताओं की जांच करते हैं। इसमें पैराशूट की तैनाती और मॉड्यूल की सुरक्षित रिकवरी शामिल है।’

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