वॉशिंगटन: कनाडा और भारत के बीच राजनयिक तनाव हैं। भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों की डिप्लोमैटिक इम्युनिटी खत्म करने की बात कही थी। भारत के इस एक्शन के बाद 41 कनाडाई राजनयिकों ने अब देश छोड़ दिया है। कनाडा के सीबीसी न्यूज के मुताबिक विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा कि इनमें से ज्यादातर लोगों ने रातों-रात देश छोड़ दिया। लेकिन अब ऐसी खबरें है कि इससे वीजा प्रोसेस पर असर पड़ सकता है। कनाडा के इमीग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने कहा कि कनाडा आने वाले भारतीयों की वीजा प्रक्रिया फिलहाल धीमी रहेगी।
इसके धीमा होने का कारण मार्क मिलर ने गुरुवार को राजनयिकों की संख्या को कम करना बताया है। भारत में कनाडा के 62 राजनयिक थे, जिनमें से 41 को भारत ने बर्खास्त कर दिया था। मेलानी ने कहा कि 21 कनाडाई राजनयिक अभी भी भारत में हैं। मेलानी ने कहा, ‘कनाडा के 41 राजनयिकों और उनके 42 आश्रितों से किसी भी दिन डिप्लोमैटिक इम्युनिटी छीने जाने का खतरा था और इससे उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा खतरे में पड़ जाती।’
कामकाज पर पड़ेगा असर
जोली ने कहा कि भारत के फैसले का असर दोनों देशों के नागरिकों की सेवाओं के स्तर पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कनाडा के चंडीगढ़, मुंबई और बेंगलुरू के वाणिज्य दूतावास (Consulate) में व्यक्तिगत सेवाओं पर रोक लगाई जा रही है। इससे वीजा लेने वालों के सामने मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। वाणिज्य दूतावास आमतौर पर वीजा के आवेदनों की समीक्षा करते हैं। आम भाषा में कहें तो काउंसलेट उच्चायोग या दूतावासों के ब्रांच ऑफिस होते हैं। हर साल लाखों लोग कनाडा जाते हैं, ऐसे में उनकी मुश्किलें भी इससे बढ़ेंगी।
ट्रूडो ने शुरू किया विवाद
मिलर ने कहा कि इमीग्रेशन, रिफ्यूजी एंड सिटीजनशिप कनाडा (IRCC) ने अपने कर्मचारियों की संख्या 27 से घटाकर 5 कर दिया है। भारत और कनाडा के बीच विवाद 18 सितंबर को शुरू हुआ, जब जस्टिन ट्रूडो ने बिना कोई सबूत दिए भारत पर खालिस्तानी समर्थक आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया। इन आरोपों के बाद कनाडा की विदेश मंत्री ने हत्या में भारत के एक राजनयिक का हाथ बताया और उन्हें निष्कासित कर दिया। जवाब में भारत ने भी एक कनाडाई राजनयिक को बर्खास्त कर दिया था।