आरक्षित कोच में यात्रियों की भीड़ और टिकट वाले यात्रियों को परेशानी पर सुनाया फैसला।
रेल का कोच बिना टिकट यात्रियों से भरा मिला
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग बीकानेर ने एक रेल यात्री की ओर से दायर परिवाद पर निर्णय सुनाते हुए इस यात्री की यात्रा के दिन रेल को ओवरलोड मानते हुए रेलवे पर जुर्माना लगाने का फैसला सुनाया। यात्री ने टिकट पर सीट आरक्षित करवा रखी थी, लेकिन यात्रा के समय रेल का कोच बिना टिकट यात्रियों से भरा मिला था। मामले के अनुसार परिवादी केशव ओझा ने 14 जून 2022 को जयपुर से बीकानेर आने के लिए अपनी और पत्नी ज्योति सारस्वत की दो सीट रेल में आरक्षित करवाई। उन्हें कोच बी-6 में दो बर्थ आवंटित की गई। यह दम्पती जब ट्रेन में सवार हुई तो आरक्षित सीट पर अन्य लोग बैठे मिले। काफी देर बाद टीटी आया तो उससे बातचीत करने पर एक सीट मिली। डिब्बे में लोगों का जमावड़ा होने और बर्थ नहीं मिलने से परेशान यात्री ने रेलवे के विभिन्न माध्यमों पर शिकायत दर्ज कराई। यहां तक की टीटी को भी अवगत कराया लेकिन कोई राहत नहीं मिली।
बीकानेर तक यात्रा पूरी होने के बाद केशव ओझा ने रेलवे के खिलाफ जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में वाद दायर किया। साथ ही अपने पक्ष में रेल के डिब्बे के अंदर के लिए फोटो आदि भी प्रस्तुत किए। रेलवे की ओर से पक्ष रखते हुए समय इस कोच में अनाधिकृत यात्री होना स्वीकार किया। इस पर आयोग के अध्यक्ष दीनदयाल प्रजापत, सदस्य पुखराज जोशी व मधुलिका आचार्य ने रेल को ओवरलोड मानते हुए उत्तर पश्चिम रेलवे मुख्यालय जयपुर एवं अन्य के विरूद्ध आदेश पारित किया। इसमें रेलवे को यात्री को हुई मानसिक व शारीरिक परेशानी की क्षतिपूर्ति के लिए 10 हजार रुपए और परिवाद व्यय के पांच हजार रुपए समेत कुल 15 हजार रुपए का भुगतान यात्री को करने के आदेश दिए हैं।