Mon. Dec 23rd, 2024
Story of elections - Two candidates were like this, when they stood, there was tremendous pressure to sit

बीकानेर. रात के एक बजे है। गर्मागर्म कचौरियों के साथ पाटों पर बैठे लोग चुनावी चर्चाओं में मशगूल हैं। पूरे परकोटे में हर थोड़ी-थोड़ी दूर पर लोग चर्चा करते नजर आ रहे हैं। चर्चा का केंद्र बीकानेर पश्चिम सीट है, लेकिन पूर्व सीट भी पाटों से अछूती नहीं है। पूर्व और पश्चिम का गणित बैठाते यहां राजनीति के कई ’पंडित’ अपने-अपने हिसाब से समीकरण साझा कर रहे हैं। दिन में चुनावी सन्नाटा पसरा रहता है, लेकिन सूर्यास्त के बाद प्रचार परवान चढ़ने लगता है। प्रत्याशी भी परकोटे की तासीर समझते हैं इसलिए वे भी सांझ ढले ही जनसंपर्क शुरू कर रहे हैं। दिन में बंद कमरों में छोटी-छोटी बैठकों में रणनीति तैयार कर रात को प्रचार के मैदान में उतर जाते हैं। संध्या आरती के बाद छोटी-छोटी टोलियां बनाकर घर-घर प्रचार में जुट जाते हैं। यहां जो भी प्रत्याशी आता है, सभी का गर्मजोशी से स्वागत होता है।

बैनर ना झंडे…रात को गूंजते हैं नारे

इस बार चुनाव बिल्कुल बदला-बदला सा नजर आ रहा है। पहले जहां चुनाव में शहरी क्षेत्र बैनर और झंडियों से अटा रहता था, इस बार ऐसा कुछ नहीं है। रात के समय जरूर नारों का शोर सुनाई दे रहा है। मोहता चौक में रहने वाले ओंकार नाथ बताते हैं, पहले चुनावों में टिकट फाइनल होते ही रौनक दिखाई देती थी, लेकिन आजकल बहुत कुछ बदल गया है। इस बार ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। हां, रात के समय जरूर पाटों या अन्य जगहों पर चुनावों की चर्चा होती दिखाई देती है।

रात 8 बजे बाद खुलती हैं कचौड़ी की दुकानें
रात 8 बजने के साथ ही शहर के कई क्षेत्रों में कचौड़ी की दुकानें खुलनी शुरू हो जाती हैं। रात को बारह गुवाड़ चौक में कचौड़ी का लुत्फ उठा रहे गौरीशंकर रंगा ने बताया कि रात में ही चुनावी चर्चाएं जोर पकड़ती हैं। दिन में तो सभी अपने-अपने काम में जुटे रहते हैं। सुशील कुमार छंगाणी ने बताया कि दिन में तो ऐसा लगता है जैसे चुनाव है ही नहीं। शाम बाद चुनावी रौनक सजती है। भंवरलाल पुरोहित ने बताया कि सब चुपचाप हैं, कोई माहौल नहीं है। एक जमाना था, जब चार महीने पहले माहौल बनना शुरू हो जाता था। इस बार तो लग नहीं रहा कि 20 दिन बाद ही चुनाव हैं।

यह पश्चिम है…यहां सूर्यास्त के बाद परवान चढ़ता है चुनाव प्रचाररात को जागता है शहर

दिन में यहां पसरा सन्नाटा देख लगता ही नहीं कि अभी चुनावी मौसम है। रातों को जागते इस शहर में चुनाव की रौनक भी इस वक्त ही दिखाई देती है। जानकार बताते हैं कि हर बार तो सुबह से लेकर रात तक प्रचार चलता था। लेकिन इस बार शाम के बाद ही लोग चुनावी रंग में रंगते नजर आ रहे हैं।

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