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तीन राउंड तक डूडी ने लीड कायम रखी और 8 हजार से ज्यादा मतों का अंतर हो गया। इसके बाद भी भाजपा कार्यकर्ता निराश नहीं हुए। माना जा रहा था कि अंतिम के पांच राउंड में नोखा शहर की ईवीएम खुलेगी और भाजपा को बड़ी बढ़त मिलेगी। परन्तु ऐसा नहीं हुआ और अंतत: सुशीला डूडी को विजेता घोषित किया गया।

नोखा विधानसभा क्षेत्र ने कांग्रेस की सुशीला डूडी को अपना विधायक चुन लिया है। कुल पोल हुए 2 लाख 14 हजार 219 मतों में से डूडी ने 83 हजार 215 मत प्राप्त कर जीत हासिल की। मुकाबले में भाजपा के बिहारीलाल बिश्नोई रहे। पार्टी ने यहां टिकट रिपीट कर उन्हें प्रत्याशी बनाया था। यहां कांटे का मुकाबला था, जो मतगणना के दौरान भी साफ दिखा।

ऐसा रहा मतगणना के दौरान अंदर-बाहर का हाल

नोखा विधानसभा क्षेत्र के मतों की गणना के दौरान आधे से ज्यादा राउंड तक भाजपा और कांग्रेस दोनों ही प्रत्याशियों के समर्थक जीत को लेकर आश्वस्त नहीं थे। भाजपा के बिहारीलाल ने शुरुआत में अच्छी बढ़त बनाई, फिर कुछ राउंड में कांग्रेस की सुशीला डूडी के पक्ष में ज्यादा मत निकले और उसने फासला कम किया। इसके बाद डूडी और बिहारी में कई राउंड कांटे का मुकाबला चला। आखिरकार बाजी कांग्रेस की सुशीला डूडी ने ही मारी। जब 15 राउंड की मतगणना के बाद मतगणना कर्मी भोजन करने लग गए। मतगणना रोक दी गई और सोशल मीडिया पर बिहारीलाल की जीत को लेकर पोस्टें वायरल होने लग गईं। ऐसे में मतगणना स्थल पर लोगों से वास्तविकता का पता लगाने के लिए लोग सम्पर्क साधने लग गए। बाद में तीन राउंड तक डूडी ने लीड कायम रखी और 8 हजार से ज्यादा मतों का अंतर हो गया। इसके बाद भी भाजपा कार्यकर्ता निराश नहीं हुए। माना जा रहा था कि अंतिम के पांच राउंड में नोखा शहर की ईवीएम खुलेगी और भाजपा को बड़ी बढ़त मिलेगी। परन्तु ऐसा नहीं हुआ और अंतत: सुशीला डूडी को विजेता घोषित किया गया।

सहानुभूति की लहर और जातीय धुव्रीकरण

नोखा सीट पर भाजपा के बिहारीलाल और कांग्रेस के रामेश्वर डूडी के खेमे हैं। अभी रामेश्वर डूडी के अस्वस्थ होने के चलते उनकी पत्नी सुशीला डूडी को पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा। सहानुभूति फैक्टर प्रभावी दिखा। कन्हैयालाल झंवर ने शहरी वोटों में बड़ी सेंधमारी कर बिहारी को पछाड़ने का काम कर दिया। भाजपा की उम्मीद निर्दलीय प्रत्याशी मगनाराम केडली पर थी। जो कांग्रेस के वोटों में सेंधमारी कर रहे थे। उन्होंने सेंधमारी की भी, लेकिन इतनी नहीं कर पाए, जितनी झंवर ने भाजपा के वोटों में कर दी।

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