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उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से पुलिस का बेहद हैरान करने कारनामा सामने आया है।

पुलिस नाम सुनकर ही मन में आता है कि ये कानून के रक्षक हैं, इन पर लोगों को न्याय दिलाने की जिम्मेदारी होती है, लेकिन कभी-कभी ये लोगों को जबरन जुर्म कुबूल करवाकर बेगुनाहों को अपराधी भी बना देते हैं। ठीक ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से आया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में 11 साल के बच्चे की हत्या के खिलाफ उसके नाना और मामाओं पर सुनवाई चल रही थी। सुनवाई के बीच में ही ‘मृत’ बच्चा सुप्रीम कोर्ट में पेश हुआ और जज के सामने गवाही देते हुए कहा कि जज साहब मैं जिंदा हूं। 11 वर्षीय लड़का यहीं नहीं रुका, इसके बाद उसने अपने पिता पर आरोप लगाया कि उन्होंने उसके नाना और मामा को फंसाने के लिए उसकी हत्या के झूठे मामले में आरोपी बना दिया था। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दर्ज मामला के खिलाफ आरोपियों की दाखिल याचिका को स्वीकार कर लिया है और बताया कि अब इस मामले की सुनवाई जनवरी से होगी।

janकारी के मुताबिक यह मामला 2010 में शरू हुआ। जब रफियापुर निवासी चरम सिंह ने अपनी बेटी मीना की शादी बरहा निवासी भानुप्रकाश से की थी। शादी के कुछ महीनों बाद इनका एक संतान हुआ, जिसका नाम अभय है। शादी के महज तीन साल बाद यानी फरवरी 2013 में मीना की मौत हो गई थी। इसके बाद मृतक के पति भानुप्रकाश और उसके परिवार के खिलाफ मीना के परिवार वालों ने दहेज एक्ट, मारपीट और हत्या का मामला दर्ज कराया था जोकि डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में विचाराधीन है।


उधर मामला चल रहा था इधर मीना के परिवार वाले अभय को लेकर ननिहाल चले गए। अभय के जाने के कुछ दिन बाद 2015 में भानुप्रकाश ने गार्डियन वार्ड एक्ट के तहत बच्चा लेने के लिए एक और केस दायर कराया। सुनवाई के बाद 12 जनवरी 2021 को फॅमिली कोर्ट के चीफ जज ने भानुप्रकाश के पक्ष में निर्णय दिया। न्यायधीश के दिए निर्णय को अमल कराने के लिए भानुप्रकाश ने अपील की। लेकिन उच्च न्यायलय में मामला विचाराधीन होने के कारण ननिहाल पक्ष ने पिता भानुप्रकाश को बच्चा देने से इंकार कर दिया।

फिर अभय के पिता भानुप्रकाश ने न्यायालय का सहारा लेते हुए सीआरपीसी की धारा 156(3) के अंतर्गत 24 जुलाई 2023 को नाना चरम सिंह और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के विरुद्ध अवयस्क अभय सिंह को मार देने, जान से मारने की धमकी देने जैसे कई आरोप में प्रार्थना पत्र दिया। भानुप्रकाश के प्रार्थना पत्र पर पुलिस ने अभय के नाना चरम सिंह और अन्य के खिलाफ धारा 302, 504, 506 में एफआईआर दर्ज की, जबकि अभय सिंह जीवित है।

इसका सीधा मतलब यह हुआ कि बच्चे के पिता की ओर से गलत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। बच्चे ने कोर्ट में कहा, मैं जीवित हूं और अपने नाना के पास सुरक्षित हूं। इस पूरे मामले में पुलिस ने जिस तरह बिना जांच किए जीवित बच्चे को मृत मानकर धारा 302, 504 व 506 जैसी गंभीर गैर-जमानती धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की, वह साफ-साफ पुलिस की जांच में हुई खामियों को उजागर करता है।

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