Sun. Jul 13th, 2025

NEWS BHARTI BIKANER ; – बीकानेर, 14 जून। ‘वंदे गंगा, जल संरक्षण जन अभियान’ के तहत शनिवार को मीडिया राउंड टेबल संगोष्ठी आयोजित हुई। इस दौरान विभिन्न मीडिया प्रतिनिधियों ने जल संरक्षण से जुड़े सुझाव दिए।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. कमलेश शर्मा थे। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने अनेक तालाब, कुएं और बावड़ियां आदि बनवाए। इन्हें संरक्षित रखना आज की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इसके मद्देनजर जन-जागरूकता के उद्देश्य से मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के निर्देश पर 15 दिवसीय ‘वंदे गंगा, जल संरक्षण जन अभियान’ चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य आमजन को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करना और परम्परागत जल स्रोतों का संरक्षण करना है। इसमें मीडिया प्रतिनिधियों की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण का विचार जन जन तक पहुंचे, यह आज की आवश्यकता है।

जिला क्षय रोग निवारण अधिकारी डॉ. चन्द्र शेखर मोदी ने कहा कि जल की एक-एक बूंद को संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने कैच द रैन’ अवधारणा के बारे में बताया और कहा कि मरुस्थल के लोग पानी का मोल समझते हैं। ऐसे अभियान इस उद्देश्य की पूर्ति में सहायक सिद्ध होंगे।

जनसंपर्क विभाग के उप निदेशक डॉ. हरि शंकर आचार्य ने अभियान के तहत पंद्रह दिनों में होने वाली गतिविधियों के बारे में बताया।

राजस्थान पत्रिका के श्री विमल छंगाणी ने बताया कि बीकानेर 538 वर्ष पुराना ऐतिहासिक शहर है। यहां के कुएं, तालाब और तलाईयां यहां की धरोहर है। इन पारंपरिक जल स्रोतों का संरक्षण तथा इन्हें अतिक्रमण मुक्त करना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि तालाबों का संरक्षण और सौंदर्यकरण कर जल संरक्षण के साथ नाइट टूरिज्म को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। उन्होंने सरकार के इस अभियान की सराहना की।

बीकानेर प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष भवानी शंकर जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री की पहल पर संचालित यह अभियान आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संरक्षण की दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित होगा। उन्होंने तालाबों के आगोर क्षेत्र के संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता बताई जिस तालाब में बरसाती पानी की आवक हो सके।

न्यूज 18 के श्री विक्रम जागरवाल ने कहा कि जल संरक्षण प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है। हर एक नागरिक को यह जिम्मेदारी समझनी होगी। तालाबों और ऐतिहासिक जल स्रोतों को बचाने की पहल करनी होगी। उन्होंने कहा कि नगरीय क्षेत्र में स्थानीय निकाय तथा ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत राज को इन पारंपरिक जल स्रोतों के संरक्षण की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।

वरिष्ठ पत्रकार श्री जितेंद्र व्यास ने कहा कि शहरी क्षेत्र के सभी 56 ऐतिहासिक कुओं को पुनः प्रारंभ करने की दिशा में कार्य किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यहां के गांवों के नाम के पीछे जुड़ा हुआ ‘सर’ इनके आसपास ऐसे तालाब और पोखर होने की जानकारी देता है, जो कभी उस क्षेत्र के जल आवश्यकता की पूर्ति करते थे।

श्री नरेश मारू ने कहा कि सरकार के प्रयासों से आज जल संरक्षण पर गंभीरता से चिंतन हो रहा है। यह सकारात्मक विषय है। उन्होंने कहा कि पूर्व राजपरिवारों ने भी तालाब, कुएं और बावड़ियां बनवाने में सहयोग किया था। आज जनकल्याण के ऐसे कार्य करवाया जाना अधिक प्रासंगिक है।

जार के जिला अध्यक्ष श्री श्याम मारू ने कहा कि बच्चों के स्कूली पाठ्यक्रम में जल संरक्षण जैसे विषय शामिल किए जाएं। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से एक-एक व्यक्ति जुड़े, ऐसा प्रयास हो। उन्होंने कहा कि जनसंपर्क विभाग द्वारा भी समय-समय पर जल संरक्षण के मुद्दों को आम जनता तक पहुंचाने का प्रयास किया जाए।

जनसंपर्क अधिकारी श्री सुरेश बिश्नोई ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन श्री गोपाल जोशी ने किया। संगोष्ठी के दौरान नागौर के सहायक जनसंपर्क अधिकारी श्री अजीत चौधरी सहित विभिन्न पत्रकार मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *