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संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में पहला हिंदू मंदिर खुल गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को इसका उद्घाटन किया ये मंदिर दुबई-अबू धाबी शेख जायद हाईवे के पास अल रहबा में अबु मुरेखा नाम की जगह पर बना है. ये मंदिर बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था यानी BAPS ने बनाया है. दुनियाभर में इस संस्था के 1200 से ज्यादा मंदिर हैं. दिल्ली और गुजरात में अक्षरधाम मंदिर इसी संस्था ने बनाया है. इस मंदिर के लिए जमीन यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने तोहफे में दी है. मंगलवार को भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि साल 2015 में जब उन्होंने मंदिर का प्रस्ताव रखा था, तो क्राउन प्रिंस नाहयान ने यहां तक कह दिया था कि जिस जमीन पर लकीर खींच दोगे, वो मंदिर के लिए दे दूंगा अबू धाबी में बने इस मंदिर के लिए यूएई सरकार ने अगस्त 2015 में 13.5 एकड़ जमीन दी थी. इसके बाद 2019 में और 13.5 एकड़ जमीन तोहफे में दे दी. इस तरह कुल 27 एकड़ की जमीन मंदिर के लिए दी गई.अबू धाबी में मंदिर की कल्पना BAPS के प्रमुख स्वामी महाराज ने 5 अप्रैल 1997 को की थी. उनका मानना था कि अबू धाबी में भी एक मंदिर होना चाहिए, जिससे देश, संस्कृति, समुदाय और धर्म और करीब आ सकें.
अबू धाबी के मंदिर के 7 पड़ाव
पहला पड़ावः अगस्त 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूएई के दौरे पर गए थे. इसी दौरे में मंदिर पर चर्चा हुई. यूएई सरकार ने मंदिर के लिए जमीन तोहफे में देने का ऐलान किया. दूसरा पड़ावः फरवरी 2018 में BAPS के प्रतिनिधियों ने शेख मोहम्मद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. मंदिर के दो मॉडल दिखाए गए. शेख मोहम्मद ने मंदिर के भव्य मॉडल को चुना. उसी महीने भूमि पूजन भी किया गया. तीसरा पड़ावः अप्रैल 2019 में मंदिर की ‘शिलान्यास विधि’ हुई यानी नींव रखी गई. इस दौरान यूएई सरकार के कई मंत्री भी मौजूद रहे. हजारों श्रद्धालु भी शामिल हुए थे. उसी साल दिसंबर से मंदिर का निर्माण शुरू हुआ. चौथा पड़ावः नवंबर 2021 में ‘प्रथम शिला स्थापना सप्ताह’ मनाया गया. मई 2022 में ‘महापीठ पूजन विधि’ हुई. इस दौरान मंदिर के पहले फ्लोर पर पहला नक्काशीदार पत्थर रखा गया. पाचवा पड़ावः सितबर 2022 में मादर का संगमरमर से बना पहला स्तंभ स्थापित हुआ. इस दिन ईश्वरचरण स्वामी और ब्रह्मविहारीदास स्वामी ने खास अनुष्ठान किया. छठा पड़ावः नवंबर 2023 में महंत स्वामी महाराज ने अमृत कलश और ध्वजों का वैदिक अनुष्ठान किया. बाद में इन कलशों को मंदिर के सात शिखरों के ऊपर स्थापित किया गया. सातवां पड़ावः 14 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर का उद्घाटन किया. इस दौरान 42 देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए. ये अबू धाबी का पहला हिंदू मंदिर है.
27 साल पहले अबू धाबी में मंदिर की हुई थी कल्पना
अबू धाबी में भी एक हिंदू मंदिर बने, इसकी कल्पना 27 साल पहले BAPS के प्रमुख महाराज ने की थी. BAPS हिंदू मंदिर के अध्यक्ष अशोक कोटेचा के मुताबिक, 5 अप्रैल 1997 को प्रमुख स्वामी महाराज यूएई के दौरे पर थे. उन्होंने बताया कि उसी दौरान स्वामी महाराज रेगिस्तान की सैर पर अल खवानीज आए थे. तभी तेज हवा चलने लगी, आंखों में रेत उड़ने लगी. ये हवा इतनी तेज थी कि बात भी नहीं हो पा रही थी. तभी महाराज ने हमसे कहा कि क्या हम कल्पना भी कर सकते हैं कि अरब लोग रेगिस्तान में कैसे रहते होंगे और उनका जीवन कितना कठिन होगा. यहां और हर जगह शांति बनी रहे कोटेचा ने बताया था कि आखिरी में स्वामी महाराज ने कहा था कि यहां एक मंदिर हो सकता है, जो संस्कृति और लोगों को करीब ला सके.
शेख ने चुना भव्य मंदिर का मॉडल
जनवरी 2023 में BAPS के ब्रह्मविहारीदास स्वामी ने मंदिर निर्माण से जुड़ा एक अहम किस्सा सुनाया था. उन्होंने बताया था कि लोगों को पहले इस बात पर यकीन ही नहीं होता था कि यूएई जैसे देश में भी मंदिर बन सकता है. उन्होंने बताया कि अंदेशा था कि मुस्लिम मुल्क में भारतीय परंपरा के हिसाब से मंदिर बनाने को मिलेगा या नहीं, इसलिए मंदिर के दो डिजाइन बनाए गए. पहला डिजाइन आम सी इमारत थी और दूसरा डिजाइन भव्य मंदिर का था. ब्रह्मविहारीदास स्वामी ने बताया था कि जब मंदिर के डिजाइन शेख और प्रधानमंत्री मोदी के सामने रखे गए तो शेख मोहम्मद बिन जायद ने बड़ी ही उदारता के साथ भव्य मंदिर वाले मॉडल को चुना. लीड आर्किटेक्ट क्रिश्चियन, प्रोजेक्ट मैनेजर सिख अबू धाबी में बने इस मंदिर की खास बात ये है कि इसके निर्माण कार्य में सभी धर्मों से जुड़े लोगों का योगदान रहा है BAPS के प्रवक्ता ने बताया कि इस मंदिर के लीड आर्किटेक्ट ईसाई हैं, प्रोजेक्ट मैनेजर सिख हैं, डिजाइनर बौद्ध हैं, कंस्ट्रक्शन कंपनी पारसी की है और डायरेक्टर जैन हैं.कुछ इस तरह बना है अबू धाबी का मंदिर 27 एकड़ में फैले इस स्वामीनारायण मंदिर को नागर शैली में बनाया गया है. मंदिर 13.5 एकड़ में बना है. 13.5 एकड़ में पार्किंग बनी है. पार्किंग में 14 हजार गाड़ियां और 50 बसें खड़ी हो सकतीं हैं.इस मंदिर के 7 शिखर और 5 गुंबद हैं. मंदिर की लंबाई 262 फीट, चौड़ाई 180 फीट और ऊंचाई 108 फीट है. मंदिर को बनाने में 700 करोड़ रुपये का खर्च आया है. इस मंदिर को बनाने में 50 हजार घन फीट इटैलियन मार्बल, 18 लाख घन फीट इंडियन सैंड स्टोन और 18 लाख पत्थर की ईंटों का इस्तेमाल हुआ है.मंदिर के प्रवेश द्वार में आठ मूर्तियां हैं जो सनातम धर्म के आठ मूल्यों का प्रतीक हैं. मंदिर का एम्फीथिएटर बनारस घाट के आकार का बना है ताकि वहां लोगों को भारतीयता का आभास हो. जब लोग एम्फीथिएटर में चलेंगे तो उन्हें पानी की दो धाराएं नजर आएंगी जो सांकेतिक रूप से भारत की गंगा और यमुना को दिखाती हैं. त्रिवेणी संगम जैसा रूप देने के लिए मंदिर से प्रकाश की एक किरण निकलेगी जो सांकेतिक रूप से सरस्वती नदी को दिखाएगीमंदिर की दीवारों पर घोड़े और ऊंट जैसे जानवरों की नक्काशी की गई है जो यूएई का प्रतिनिधित्व करते हैं. भगवान स्वामीनारायण के मंदिर की दीवारों पर हिंदू धर्म और दुनिया की बाकी सभी संस्कृतियों, सभ्यताओं की 250 से ज्यादा कहानियों को उकेरा गया है