Sun. Jul 13th, 2025

द्वितीय विश्व युद्ध के योद्धा सूबेदार थानसिया के निधन पर भारत भारतीय सेना की असम रेजिमेंट ने श्रद्धांजलि अर्पित की है। रविवार को उनका 102 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। वे कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। सूबेदार थानसिया मिजोरम के निवासी थे। सोमवार को उनको असम राइफल्स, भारतीय सेना और स्थानीय लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। सूबेदार थानसिया द्वितीय विश्व युद्ध में नायक रहे। कोहिमा की लड़ाई में उनकी वीरता और जेसामी में उनकी महत्वपूर्ण तैनाती के दौरान पहली असम रेजिमेंट की विरासत को स्थापित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। असम राइफल्स की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि सूबेदार ने अपनी पूरी सेवा के दौरान अपने कर्तव्य से परे जाकर राष्ट्र की सेवा की। इस कारण उन्हें भारत के सैन्य इतिहास में एक श्रद्धेय स्थान प्राप्त हुआ। कठिन बाधाओं के बावजूद, कोहिमा में उनके कार्यों ने ही मित्र देशों की सेना की जीत में योगदान दिया, जो संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, सूबेदार थानसिया ने समुदाय और देश के प्रति अपने समर्पण से प्रेरणा देना जारी रखा। अनुभवी मामलों और शैक्षिक पहलों में सक्रिय रूप से भाग लिया। 

सेवाकाल के बाद भी उनका जीवन उतना ही प्रभावशाली रहा, जिसने युवा पीढ़ियों में देशभक्ति और लचीलेपन की भावना को बढ़ावा दिया। सूबेदार थानसिया को श्रद्धांजलि देने के लिए असम रेजिमेंट के साथियों सहित सेना और नागरिकों की भारी भीड़ उमड़ी। उनकी विरासत भारतीय सेना, असम रेजिमेंट और उत्तर पूर्व के लोगों पर एक अमिट छाप छोड़ती है जो हमें शांति और स्वतंत्रता की तलाश में हमारे सैनिकों द्वारा किए गए बलिदानों की याद दिलाती है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि सूबेदार थानसिया की कहानी न केवल अतीत का एक प्रमाण है, बल्कि भविष्य के लिए प्रेरणा का एक सतत स्रोत है। जो उन सभी भारतीय सैनिकों की विरासत का सम्मान करती है, जिन्होंने विशिष्टता के साथ सेवा की है। सूबेदार थानसिया को याद करते हुए हमें उन लोगों के साहस और दृढ़ संकल्प की याद आती है जिन्होंने मानवता की सेवा की। उनकी कहानियां हमारे वर्तमान और भविष्य की प्रेरणास्रोत हैं।

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