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  • हाई कोर्ट ने कहा-आश्चर्य है कि ग्राम पंचायत अतिक्रमियों को संरक्षण दे रही है

जयपुर , 27 दिसम्बर। हाई कोर्ट ने दौसा जिले की लोटवाड़ा ग्राम पंचायत में चारागाह की जमीन पर अतिक्रमण के मामले में जिला कलक्टर से शपथ पत्र पेश करके अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का ब्यौरा देने के लिए कहा है। वहीं रिपोर्ट पेश नहीं होने पर 10 जनवरी को अदालत में पेश होने के निर्देश दिए है।मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश कैलाश चंद की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता प्रेमचद बैरवा ने बताया कि दौसा जिले की ग्राम पंचायत लोटवाड़ा में चारागाह भूमि पर बनी अवैध दुकानों को अतिक्रमण मानते हुए प्रशासन ने 2021 में उन्हें हटाने के आदेश दिए थे। लेकिन अधिकारियों ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। अदालत ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि ग्राम पंचायत की ओर से अतिक्रमियों का संरक्षण किया जा रहा है, जबकि यह पंचायत का काम नहीं है। तीन साल से नहीं हटा अतिक्रमण

उन्होने बताया कि अदालत ने अतिक्रमण हटाने के संबंध में पिछली सुनवाई पर तहसीलदार बैजूपाड़ा से रिपोर्ट मांगी थी। लेकिन तहसीलदार व एसडीएम ने अभी तक अतिक्रमण हटाने की कोई भी कार्रवाई नहीं की है। अधिकारियों की ओर से अतिक्रमियों को नोटिस जारी कर पुलिस जाप्ता नहीं मिलने का बहाना बनाकर कार्रवाई नहीं की जा रही है। चारागाह भूमि पर कई बाहुबलियों द्वारा अवैध अतिक्रमण कर दुकानें निर्मित कर व्यवसाय किया जा रहा है। इन लोगों ने करीब 5 बीघा से अधिक भूमि पर अनाधिकृत कब्जा कर लिया है।

उन्होने कहा कि राजस्थान काश्तकारी अधिनियम के प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुसार चारागाह की भूमि पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण नहीं किया जा सकता है और ना ही चारागाह की भूमि को चारागाह के अलावा किसी अन्य प्रयोजन के लिए काम में लिया जा सकता है।

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