बीकानेर. चुनावी समर में इस बार प्रचार के अनूठे रंग देखने को मिल रहे हैं। जैसे-जैसे मतदान का दिन नजदीक आ रहा है, प्रत्याशियों का अंदाज इमोशनल होता जा रहा है। मायड भाषा और ठेठ देसी अंदाज में वे मतदाताओं को रिझाने का जतन कर रहे हैं। नेताओं की भाषा से लेकर गानों तक में इमोशनल टच है। देशी बोल में भावनात्मक अपील से जनजुड़ाव और वोट जुटाने की पुरजोर कोशिश नजर आ रही है। चुनावी मंचों पर स्पीकर और वोट की अपील करते घूम रहे वाहनों पर भी राजस्थानी गीतों की गूंज सुनाई पड़ रही है।
बीकानेर में हर उत्सव का अपना अलग ही अंदाज है। फिर लोकतंत्र का उत्सव भला इससे जुदा कैसे रह सकता है। चुनावी गीतों में बीकाणा री जनता बोले…, नारा गूंजे है बाजार मांय.., मां भारती कहती है अपने चारों बेटों से…, जैसे स्थानीय कलाकारों के तैयार किए हुए गीत सुनाई पड़ रहे हैं। प्रत्याशी भी मंच पर आते हैं तो कहते है आपका साथ, समर्थन ही मेरी ताकत है…। सरकार में मंत्री रहे एक प्रत्याशी तो हिन्दी में अपनी बात रखने की जगह कहते हैं आज बीकानेर रौ जितौ भी डवलपमेंट है..,पार्टी रै शासन में होयो है।
ग्रामीण क्षेत्र में एक युवा नेता का अंदाज भी इस बार खासा चर्चा में है। उच्च शिक्षित यह युवा प्रत्याशी चौपालों में कहते हैं कि पग पकड़न आयो हूं, एक वोट लैण आयो हूं…। इसके साथ ही कई तरह के देशी भाषा में कहावत और किस्सों को भी सुनाते हैं। कहते हैं तलवार सिर्फ काट सके, सूई…मौके पड़ तो काट सके और जरूरत पड़ तो सील भी सके, मैं तो थारी सूई हूं…।
बीकानेर जिले के एक युवा प्रत्याशी के मंच पर आते ही बैक राउंड में एक गीत जरूर बजता है। वह है, एक-एक कर सब गढ़ जीते.., इसके साथ ही समर्थक भी प्रत्याशी के नाम के नारे लगाते हैं। नए चेहरे के रूप में चुनावी मैदान में उतरे एक अन्य प्रत्याशी स्नातकोत्तर तक शिक्षित है। फिर भी जनता के बीच भाषण अपनी स्थानीय बोली में ही देते हैं। वे कहते है, मैं औरां जियां साढ़ी चार साल बाद कोनी दिखू, हर दो महीना बाद थारे क्षेत्र में दिखसूं…। चुनावी गीत में बीकानेर पश्चिम सूं अबकी आयो आनंद ही आनंद.., खासा लोकप्रिय है।
अंतरआत्मा रीआवाज सुणी…
ऐसे ही महिला प्रत्याशी का मारवाड़ी में बोलने का अंदाज लोगों को आकर्षित कर रहा है। वे कहती हैं आप लोगां जिती मन ताकत देसों, बीती ताकतवर बनसूं…ओ आपरो चुनाव है..। इसी के साथ भावनात्मक अपील करती भी सुनाई पड़ती है। कहती है, आप अंतरआत्मा री आवाज सुणी, ऊपर आला न पूच्छया, किसकै साथ रहस्यौ, एक महिला रै साथ रहस्यौ। आपरो प्यार मिल्यौ है, आशीर्वाद री जरूरत है।
आप सबा रौ बेटो हूं, आप सबा रौ भाई हूं…
कपिल मुनी की तपोभूमि कोलायत विधानसभा क्षेत्र में भी मायड़ भाषा के गीत गूंज रहे हैं। वोट की अपील करते घूम रहे वाहनों पर स्पीकर में सुनाई पड़ता है, श्रीकोलायत धरा निराली, बिन मगरे की माटी…। अबके डंक की चोट दीजे वोट…। इसी के साथ यहां प्रत्याशी चुनावी सभाओं में कहते है मैं ओछी राजनीति नहीं करनी चाहूं…।, दूसरे नेता कहते है आप रै गांव में कोई भी समस्या होवै, म्हार तक सीधा पहुंचाज्यौ। आप सब मनै आपणो टाबर रै रूप में देखो…, आप सबा रौ बेटो हूं, आप सबा रौ भाई हूं…।