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अयोध्या के श्रीराम मंदिर आंदोलन में अग्रणी रही साध्वी ऋतंभरा का कहना है कि रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कोई जल्दबाजी नहीं हुई। देश के करोड़ों लोग बेसब्री से प्राण प्रतिष्ठा का इंतजार कर रहे थे। यह जनमानस की भावना से जुड़ा सबसे बड़ा मुद्दा था। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद मंदिर को अब श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिया गया है। प्रतिदिन लाखों की संख्या में भक्त रामलला के दर्शन कर स्वयं को गौरान्वित महसूस कर रहे हैं। साध्वी ऋतंभरा इन दिनों जयपुर आई हुई हैं। रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह से जुड़े हर सवाल का साध्वी ऋतंभरा ने खुलकर जवाब दिया।

शंकराचार्यों के नहीं आने पर दिया ये जवाब

अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर में 22 जनवरी को हुए प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शंकराचार्यों के शामिल नहीं होने पर साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा को लेकर सबके अलग-अलग विचार और मत हो सकते हैं, लेकिन सनातनियों में मनभेद नहीं होना चाहिए। साध्वी ने कहा कि शंकराचार्यों के मत अलग हो सकते हैं, लेकिन वे समारोह में शामिल होते तो और अच्छा लगता।

राजनीतिकरण होता तो देश विदेश से करोड़ों का चंदा नहीं आता

साध्वी ऋतंभरा का मानना है कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कोई राजनीतिकरण नहीं हुआ। अगर यह किसी एक संगठन से जुड़ा कार्यक्रम होता तो सिर्फ 45 दिन में देश विदेश से करोड़ों रुपये का चंदा नहीं आता। साध्वी ने कहा कि सभी सनातनियों की आस्था राम मंदिर से जुड़ी है। सभी लोग प्राण प्रतिष्ठा का इंतजार कर रहे थे।

जो पार्टी काम करेगी, लोग उसी को अपनाएंगे: साध्वी

श्रीराम मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाजपा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भाजपा की ओर से चंदा भी एकत्रित किया जा रहा है और घर-घर जाकर रामलला प्राण प्रतिष्ठा के लिए पीले चावल बांट कर लोगों को आमंत्रित किया गया था। प्राण प्रतिष्ठा समारोह से भाजपा को चुनावी फायदा मिलने से जुड़े सवाल पर साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि जो भी संगठन या राजनैतिक पार्टी भारतीय परम्परा और संस्कृति का पोषण करेगा, समाज उसी को अपनाएगा। यह तो लाजमी है कि जो काम करेगा, लोग उस संगठन या पार्टी के प्रति विश्वास जताएंगे।

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